Akbar Birbal Short Story For Kids
बाल्य अवस्था में अकबर की देखभाल एक दाई करती थी | वह उन्हें अपना दूध भी पिलाती थी | एक महान राजा बन जाने के बावजूद भी वह अपने आया की, जिसे वो दाई माँ कहते थे, बहुत सम्मान करते थे | दाई माँ का भी एक पुत्र था | बादशाह अकबर उसे अपने भाई के समान समझते थे | जब उनका यह आधा भाई उनसे मिलने आता, बादशाह उसका बड़ा आदर-सत्कार करते थे | कभी-कभी उसकी आवभगत में बादशाह अकबर इतने व्यस्त हो जाते थे की वह दरबार भी नहीं जाते थे | उनकी यह आदत दरबारियों तथा बीरबल को पसंद नहीं थी क्योकि इस तरह बादशाह का दरबार में उपसिथत न होना उन्हें हितकर नहीं लगता था |
राज-काज संबंधी कई विषयों पर विचार-विमर्श करना होता था | देश-विदेश से आने वाले अतिथियों से भी बातचीत करनी होती थी | जब बादशाह दरबार में आयगे ही नहीं तो काम कैसे चलेगा | इस सब बातो को सोचकर दरबरीगण बहुत चन्तित थे | इसलिए उनका हालचाल लेने कुछ दरबारियों के साथ बीरबल उनके महल में गए |
बादशाह ने बीरबल से पूछा –“मेरे प्यारे आधे भाई के समान तुम्हारा भी कोई आधा भाई है?”
बीरबल ने कहा – “जी, महाराज! मेरा भी एक आधा भाई है |”
“अच्छा, तुम उसे कभी दरबार में क्यों नहीं लाए?” हम भी तुम्हारे भाई से मिलना चाहेगे|” बादशाह ने इच्छा व्यक्त की |
“परन्तु महाराज, यहाँ आने के लिए अभी वह बहुत छोटा है |” बीरबल ने कहा |
“परन्तु फिर भी तुम उसे यंहा अवश्य लाओ|” बादशाह ने आग्रहपूर्वक कहा | बीरबल ने बादशाह की बात मन ली | अगले दिन सभी दरबारी यह देखकर हेरान हो गए की बीरबल एक बछड़े को अपने साथ खींचकर ला रहा है | यह देख बादशाह भी हेरत में पड़ गए और पूछा, “तुम्हारा दिमाग सही है, बीरबल? तुम इस बछड़े को यंहा क्यों लाए हो?”
“महाराज मेने तो केवल आपकी बात का सम्मान किया है | बचपन से ही मेरी परवरिश गाय के दूध से ही हुई है क्योकि मेने उसका दूध पिया, इसलिए वह मेरी माँ समान हुई और उसका यह बछड़ा मेरा आधा भाई ही तो हुआ|”
बादशाह अकबर तुरंत ही समझ गए की बीरबल उन्हें क्या कहना चाहता है | वे जोर से हंस पड़े और वो समझ गए की बीरबल उन्हें क्या कहना चाहता है |
Akbar Birbal Short Story
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